Kavita(Poem)
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किशोर कुणाल जी का जन्म बरूराज,मुजफ्फरपुर में 10 जुलाई 1950 को हुआ था।
उन्होंने 1970 में पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली और इसके कई साल बाद M.A. भी किया।
वे 1972 में I.P.S बने और गुजरात कैडर के लिए चुने गए।लगभग 10 साल गुजरात में कार्यरत रहने के बाद वे 1983 में पटना के S.S.P. बनाए गए उसी समय पटना के D.M. Raj Kumar Singh बने इन दोनो की छवि एक तेज तर्रार एवं ईमानदार अधिकारी की थी और पटना की कानून व्यवस्था शायद उतनी दुरुस्त पहले कभी नहीं थी। कुणाल जी के इसी कार्यकाल में मशहूर(या बदनाम)BOBBY MURDER CASE हुआ जिसमें दो दो Death Certificate मिलने के कारण कुणाल जी ने Bobby के dead body को graveyard से निकलवाया और फिर से P.M.Report बना अतः “गड़ा मुर्दा उखाड़ना” कहावत को चरितार्थ किया और इतनी चर्चा इस “बॉबी कांड” की हुई की अखबार को extra page निकालना पड़ता था! पर जैसा कि होता आया है(हाल में सुशांत सिंह राजपूत में भी वही हुआ और तलवार हत्या कांड में भी CBI ने बिना तह तक गए बंद ही कर दिया और Cajed Parrot 🦜 का दर्जा पाया) की जब “शक की सुई”समाज के गणमान्य व्यक्ति”के तरफ घूमती है तो मामला थोड़े दिनों तक हलचल मचाकर बिना किसी नतीजे के शांत हो जाता है बॉबी कांड में भी वैसा ही हुआ, पर पटना की जनता को ये विश्वास हो गया कि कुणाल जी ने अपनी योग्यता के अनुसार ईमानदारी से काम किया और वे नायक के रूप में देखे जाने लगे।
इससे पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री V P Singh ji ने उन्हें Officer on Special Duty(OSD) Ayodhya नियुक्त किया और उन्हें विश्व हिंदू परिषद और Babri Action Committee के बीच मध्यस्थता करने की जिम्मेदारी दी। वे इस पद पर प्रधान मंत्री चंद्रशेखर जी और नरसिम्हा राव जी के कार्यकाल तक पदस्थापित रहे, अतः उन्हें तीन तीन प्रधानमंत्री के साथ सीधे रिपोर्ट करने का सम्मान मिला।
बिहार सरकार से मतभेद(जो शायद राम मंदिर में “कार – सेवा” के लिए छुट्टी न मिलने के कारण भी हो सकती है) के कारण उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और बिहार में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने हेतु “ज्ञान निकेतन” की स्थापना की।तदोपरांत
उन्हें महावीर मंदिर का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया, जिसे वो महावीर ट्रस्ट में परिवर्तित कर दिए। उन्होंने 1984-1985 के दौरान बिहार के सबसे पुराने “Gupta Age AD-343” कि ऐतिहासिक धरोहर “मुंडेश्वरी भवानी मंदिर का जीर्णोद्धार किया जिसका उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल महामहिम गवई साहेब ने किया। महावीर ट्रस्ट के सर्वेसर्वा रहने से उस पैसे से उन्होंने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर नेत्रालय तथा महावीर वात्सल्य अस्पताल का निर्माण किया जहां subsidised rate में मरीजों का बखूबी इलाज होता आ रहा है और महावीर कैंसर संस्थान का नाम तो पूरे भारत वर्ष में है क्योंकि इससे सस्ता इलाज कैंसर जैसे गंभीर बीमारी का पूरे भारत वर्ष में नहीं है! और हाल ही में उन्होंने 19 वर्ष से कम आयु का भी कैंसर अस्पताल खोला है जिसमें रोगियों का इलाज मुफ्त किया जाएगा!
महावीर मंदिर में उनके एक क्रांतिकारी परिवर्तन से उन्हें हमेशा याद किया जाएगा कि उन्होंने बिहार (और शायद पूरे भारत) में पहली बार किसी मंदिर में पुजारी दलित एवं पिछड़े समुदाय के व्यक्ति को नियुक्त किया और ये व्यवस्था आज भी (भारी विरोध के बावजूद) कायम है! Mahavir Trust का Balance Sheet Website पर सभी के लिए उपलब्ध रहता है, और मंदिर के चढ़ावा,दान से लेकर “तिरुपति लड्डू” से आमदनी का ज़िक्र रहता है और trial balance में जो मुनाफा दिखता है वो इन अस्पताल के नए उपकरणों और बेहतरी में खर्च किया जाता है जो किसी चमत्कार से कम नहीं। आप बिहार झारखंड या उसके आस पास किसी राज्य के मंदिर को उठा कर देख लें, उनके पैसे का न तो कहीं ठीक से हिसाब किताब रहता है और अगर कहीं रहता भी होगा तो सामाजिक कार्यों में तो शायद ही उनका उपयोग देखने को मिलता है! शंकर नेत्रालय और South या Western India के कुछ मंदिर को छोड़ कर ऐसी पारदर्शिता कहीं देखने को नहीं मिलती।
इन दिनों वो कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर के तर्ज पर विश्व का सबसे बड़ा “मंदिर समूह” मोतिहारी के निकट बनाने में लगे हुए थे,आशा है उनका ये सपना अगली पीढ़ी अवश्य करेगी।
मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस बात का बेहद मलाल रहेगा कि ऐसे महान व्यक्ति को पद्मश्री से भी नहीं नवाज़ा गया जबकि वो इससे बहुत ऊपर की उपाधि deserve करते हैं।किसी महान अंग्रेज़ ने कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद जी, नागार्जुन जी,गोरखनाथ सिंह जी, और भिखारी ठाकुर जी जैसे साधारण जीवन जीने वाले व्यक्तियों के बारे में कहा था कि बिहार विभूतियों को पैदा करना तो जानता है पर उनका कद्र करना नहीं जानता! कुणाल जी पर भी ये सटीक बैठता है!😢😢😢😢😢😢😢
ईश्वर उनके आत्मा को शांति प्रदान करे🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏
[का का बतलाईं कहाँ बिलाईल ]
शहर के आगे गांव बिलाईल।
बढ़ल प्रदूषण छाँव बिलाईल।
डीजे डिस्को के जुग में अब,
कौऊआ के सब काँव बिलाईल।
खेत बगैइचा पेड़ बिलाईल।
राह चले के मेड़ बिलाईल।
साफ बयार मिले कइसे जब,
पाकड़ बरगद रेड़ बिलाईल।
मउनी डगरा सूप बिलाईल।
सेई माना रूप बिलाईल।
भर दुपहरिया हो बतकूचन,
अंगना के ऊ धूप बिलाईल।
दुअरा के संवाद बिलाईल।
घारी गईया नाद बिलाईल।
होत भिनहीं भरि भरि खांची,
गोबरईया के खाद बिलाईल।
जोगी मंगता सूर बिलाईल।
भंवर में नाचत धूर बिलाईल।
अइसन आईल बा जुग देखा,
कुआँ पोखरा घूर बिलाईल।
ओल्हा पाती खेल बिलाईल।
गुल्ली डंडा मेल बिलाईल।
बाई स्कोप में घुस के सब जन,
लईका ठेलम ठेल बिलाईल।
बोरसी चूल्हा आग बिलाईल।
चिरई कोयल काग बिलाईल।
कजरी चैता बारह मासा,
शिव चौरा के फाग बिलाईल।
खपरा पुइरा छान बिलाईल।
काली माई थान बिलाईल।
रिश्तेदारी घटल बा अइसन,
पहुना फुआ मान बिलाईल।
झींगुर पट्टू झाड़ बिलाईल।
भूजा दाना भाड़ बिलाईल।
कैलोरी गिन सब खात बा जबसे,
नवका चाउर माड़ बिलाईल।
सिल लोढ़ा के चाल बिलाईल।
चाकी जांता ताल बिलाईल।
सुतुही के त बात न पूछा,
फूलहा लोटा थाल बिलाईल।
पुरुआ पछुआ जोर बिलाईल।
दीया के अजोर बिलाईल।
बिजली से सब जग मग जग मग,
रतिया सब घनघोर बिलाईल।
का का बतलाईं कहाँ बिलाईल।
इहाँ बिलाईल उहाँ बिलाईल।
नवका जुग के आगे जाना,
बीतल आपन जहां बिलाईल।